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October 2020 India Letter

भारत के अगुवे, संचालक और छात्रों के नाम सन्देश – सितम्बर 2020,

प्रिय मित्रों 

केपटाउन से यीशु के अतुलनीय नाम में आप का अभिवादन

कोरोना महामारी का समय अत्यधिक लम्बा होता जा रहा है  और निश्चित ही इस ने हम सभी को अत्यधिक प्रभावित किया है; इस के कारण हमारी कलीसियाओं में आराधना करना बंद हो गया है, जिस तरह से हम अपने अन्य परिवार के सदस्यों से मुलाकात करते थे, उस में व्यवधान उत्पन्न हो गया है, प्रत्येक की वित्तीय वास्तविकताओ को नष्ट कर दिया है

हम सभी के मष्तिष्क में यह प्रश्न है कि हम इस महामारी और तालाबंदी में किस प्रकार से जीवन निर्वाह करें 

    1. हम अपने आप को प्रेरित करने और ध्यान केंद्रित करने के लिए जो कुछ कर सकते है, उस को करें। प्रश्न यह भी है, कि जब परिस्थितियां कठिन हो उस समय हम किस प्रकार से स्वयं को प्रेरित रख सकते है ।
    2.  हम स्वयं पर और अपनी परिस्थितियों पर अपनी आँखों को लगाये। चाहे परिस्थितियां कठिन ही हो, पर जो बुरी परिस्थियाँ आपके साथ हो रही हैं, उन पर ध्यान न दें, जितना अधिक आप अपनी समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करेंगे उतना ही वे आपके मष्तिष्क को प्रभावित करेगी, और अंततः यह आप के ऊपर हावी हो जाएगी।
    3. स्वपन देखना कभी भी बंद न करें। महान विचार अधिकंश्ता हमारे द्वारा आते है, जो वर्तमान परिस्थितियों को एक तरफ कर देते है, और आपके चारों तरफ जो संभावनाये है, उनको देखते है।
    4. अपनी परिस्थितियों से परे देखे और प्रभु से प्रार्थना करे कि आप को स्पष्ट भविष्य देखने मे वह सहायता करे। इस को दर्शन कहते है। मात्र आज और कल को ही न देखे । दो, तीन या और अधिक वर्षो को देखे 
    5. कुछ सम्भावित लक्ष्यों को जिन को प्राप्त किया जा सकता है, उनको दिनांक के साथ लिख ले कि आप उन को कब तक प्राप्त करने की आशा करते है। प्रत्येक दिन इन लक्ष्यों को देखे। यह आपकी सहायता करेगा कि आप भविष्य में प्राप्त परिणामों की तरफ अपने ध्यान को केन्द्रित कर सके। बाइबिल मे हबक्क्कू कहता है कि हमको अपने दर्शन को स्पष्ट रूप से निर्मित करना है, और उसको पटियों पर लिखना है ताकि प्रत्येक उस को स्पष्ट रूप से देख सके।
    6. अपने प्रियो से संपर्क बनाये रखे, हाँलाकि आप उनसे मुलाकात करने नहीं जा पा रहे है, उनसे फोन पर बाते करे, उन को सन्देश भेजे, उन से सम्बन्ध स्थापित करने के जो भी संभावित साधन हो, उन का उपयोग करे।  
    7. सम्बन्धों को न छोड़े – मानव के रूप में हमारी इस प्रकार से सृष्टि हुई है कि, हम को अन्य लोगो के साथ सम्बन्ध बनाने की आवश्यकता होती है । इस ही कारण से हमारे परिवार और कलीसियाये हमारे जीवन के एक बहुत महत्वपूर्ण तत्व होते है। इस ही कारण से बाइबिल हम को सिखाती है कि विश्वासियो की सभा में सम्मलित होने को हम भूले नहीं।

लाइव स्कूल के सन्दर्भ में:

    1. अपने छात्रो के साथ कृपया सम्बन्ध स्थापित रखे 
    2. यदि आप मुलाकात नहीं कर पा रहे है, तब आप स्वय लाइव स्कूल के सत्रों को देखे और इस प्रकार से आप अपनी कक्षा के अन्य लोगो से आगे हो सके और जब कक्षाए प्रारम्भ हो तब आप अपने छात्रो की सेवा और संचालन और अधिक उचित प्रकार से कर सके। 
    3. जब आप छोटे समूह में सम्मलित होना प्रारभ कर पायेगे, उस समय कृपया लाइव स्कूल को अतिशीघ्र प्रारम्भ करने का प्रयास करे। 
    4. यदि यह संभव होता है, तो उस ही लाइव स्कूल यूनिट का उपयोग करते हुए, एक और लाइव स्कूल को अपने निकटतम ग्राम या कस्बे मे प्रारम्भ करने का प्रयास करे । जिस से जो समय नष्ट हो गया है उस की भरपाई कर पाए और कम से कम समय में अधिक से अधिक लोगो को प्रशिक्षित कर सके।

    यह स्मरण रखे कि लीडिया और मैं आप के लिए प्रार्थना कर रहे है, और परमेश्वर से मांग रहे है कि वह आप को निरंतर सुरक्षित रखे और यदि आप स्वस्थ नहीं है तो वह आप को स्वास्थ्य प्रदान करे।

    आप को आशीष प्राप्त हो 

    विल्ली और लीडिया क्रू